1.भारतीय नौसेना पोत विक्रांत भारतीय नौसेना का एक सेवा निवृत युद्ध पोत है। यह भारतीय नौसेना का प्रथम वायुयान वाहक पोत है। इस पोत को 1957 में ब्रिटेन से खरीदा गया था। तब तक इसे एचएमएस हर्क्युलिस के नाम से जाना जाता था। 1961 में इसे भारतीय नौसेना शामिल किया गया तथा 31 जनवरी 1997 को काम से हटा लिया गया।
2.यह भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी - इन्डिजनस एयरक्राफ्ट कैरियर) पोत है।
3.इस जहाज की लम्बाई लगभग 260 मीटर और इसकी अधिकतम चौड़ाई 60 मीटर है।
4.अगस्त 2013 में भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इसका बड़े पैमाने पर नवीकरण किया जा रहा था। पुनर्निर्माण का प्रथम चरण पूरा होने के बाद 12 अगस्त 2013 को इसे नये अवतार में उतारा गया। विमान को उड़ान भरने में मदद के लिए इसमें 37,500 टन का रैम्प लगाया गया।
5.दूसरे चरण में जहाज के बाहरी हिस्से की फिटिंग, विभिन्न हथियारों और सेंसरों की फिटिंग, विशाल इंजन प्रणाली को जोड़ने और विमान को उसके साथ जोड़ने का काम पूरा किया गया, जिसे 10 जून 2015 को जलावतरित किया गया| व्यापक परीक्षणों के पश्चात् वर्ष 2017-18 के आसपास भारतीय नौसेना को सौंपने की योजना है।
6.अप्रैल २०१४ में सरकार द्वारा इस पोत को कबाड़ में बेचने का निर्णय ले लिया गया। एक नीलामी के जरिए इस पोत को 60 करोड़ रुपये में एक प्राइवेट कंपनी आईबी कमर्शल प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया। इस निर्णय का काफी विरोध हुआ। पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने इस फैसले पर खेद व्यक्त करते हुए इस ऐतिहासिक युद्धपोत को युद्ध संग्रहालय में बदलने की वकालत की।
7.देश में पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत बनाने के बाद अब भारतीय नेवी को और मजबूत करने के लिए आईएनएस विक्रांत आ गया है। देश में बने पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को आज कोच्चि के समंदर में उतार दिया गया। आज रक्षा मंत्री एके एंटनी की मौजूदगी में इसे समंदर में उतारा गया। इस मौके पर एंटनी ने कहा कि आईएनएस विक्रांत तुरंत कार्रवाई के लिए सक्षम है।
8.नेवी में विक्रांत के शामिल होने के बाद भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस की उस लीग में शामिल हो गया है जिनके पास इस क्षमता के युद्ध पोत हैं। इसी ताकत की बदौलत सुपरपॉवर अमेरिका ने दुनिया पर दबदबा कायम रखा है। ये अमेरिकी विमान वाहक पोतों का बेड़ा है। ऐसे विशालकाय युद्धपोत जिनपर छोटी-मोटी वायुसेना और थलसेना का पूरा लावलश्कर होता है। इन्हीं की बदौलत अमेरिका इराक से लेकर अफगानिस्तान तक आतंक के खिलाफ जंग जारी रख पाया। खुद को सुपरपॉवर साबित कर सका।
9.आईएनएस विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत है। कोची शिपयार्ड में तैयार हो रहे विक्रांत को आज लॉन्च कर दिया गया। इसके साथ ही अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के बाद 40 हजार टन का विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता वाला भारत दुनिया का पांचवा देश हो गया। हालांकि पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत 2018 में नौ सेना में पूरी तरह से शामिल हो जाएगा।
10. आईएनएस विक्रांत की तरह ही स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत भी जबरदस्त ताकत वाला होगा। आईएनएस विक्रांत करीब 260 मीटर लंबा होगा, यानी समंदर में तैरता एक छोटामोटा शहर। करीब 40 हजार टन भार वाला विक्रांत 18 नॉट की रफ्तार से एक बार में 7,500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर लेगा। इसका सबसे खतरनाक हथियार रूस में बना मिग-29 होगा।
11.विक्रांत के डेक पर करीब 25 से 30 लड़ाकू विमानों को बेड़ा तैनात रहेगा, जिनमें करीब 12 मिग-29के, देश में बने 8 तेजस विमान और 10 एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर होंगे। ये हेलीकॉप्टर अर्लीवॉर्निंग सिस्टम से लैस होंगे, जिससे दुश्मन की कोई भी पनडुब्बी विक्रांत के पास फटक नहीं पाएगी। विक्रांत पर इन हवाबाजों की परवाज के लिए दो रनवे भी होंगे। इसके साथ ही दुश्मन के लड़ाकू विमानों को हवा में गिराने के लिए विक्रांत पर आधुनिक रडार, क्लोज इन वेपन सिस्टम और कई किस्म की मिसाइलों के साथ जमीन से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें भी होंगी।
12. फिलहाल भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक पोत आईएनएस विराट ही है, जो 2018 तक नौसेना के बेड़े में रहेगा। रूस से खरीदा गया एडमिरल गोर्शकोव यानी आईएनएस विक्रमादित्य के 2013 के अंत तक नौ सेना में शामिल होने की उम्मीद है। यानी आईएनएस विक्रांत के आने के बाद भारतीय नौसेना दो कैरियर बैटल ग्रुप वाली समुद्री ताकत बन गई है।
13. आईएनएस विक्रांत भारत का पहला विमान वाहक पोत था.
14. भारत ने इसे ब्रिटेन के रॉयल नेवी से साल 1957 में खरीदा था.
15. एचएमएस हरक्यूलस के नाम से जाने जाने वाले आईएनएस विक्रांत को रॉयल नेवी ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तैयार किया था.
16. मैजेस्टिक श्रेणी के इस विमान वाहक पोत को 1961 में नौसेना में शामिल किया गया था और जनवरी 1997 में ये कहते हुए इसकी सेवा समाप्त कर दी गई कि पोत का रख-रखाव संभव नहीं है.
17. आईएनएस विक्रांत ने साल 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान की नौसेना के लिए बड़ी मुसीबत था.
18. 1965 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान ने कहा था कि उसने विक्रांत को डूबो दिया है जबकि वह मुंबई के नौसेना की पोतगाह में वह कुछ तब्दीलियों से गुजर रहा था.
19. साल 1971 में हुए युद्ध के दौरान आईएनएस विक्रांत ने पाकिस्तान की नौसैनिक घेरेबंदी में अहम भूमिका निभाई थी.
20. बांगलादेश को आज़ाद करने का अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण इससे जुड़े अधिकारियों को दो महावीर चक्र और 12 वीर चक्र मिले.
21. कई दिग्गज नौसैनिकों और वायुयान चालकों ने इस पोत पर प्रशिक्षण पाया. पूर्व नौसैनिक प्रमुख एडमिरल आरएच तहिलयानी पोत के डेक पर हवाईजहाज उतारने वाले पहले भारतीय थे.
22. शिप ब्रेकिंग कंपनी आईबी कमर्शियल्स के मुताबिक 36 साल भारत की सेवा करने वाले इस विमानवाहक पोत को तोड़ने में 7-8 महीने लगेंगे.
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हम आगे और पोस्ट करेंगे। धन्यवाद।
आपका दोस्त -- अभिषेक सिंह
2.यह भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी - इन्डिजनस एयरक्राफ्ट कैरियर) पोत है।
3.इस जहाज की लम्बाई लगभग 260 मीटर और इसकी अधिकतम चौड़ाई 60 मीटर है।
4.अगस्त 2013 में भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इसका बड़े पैमाने पर नवीकरण किया जा रहा था। पुनर्निर्माण का प्रथम चरण पूरा होने के बाद 12 अगस्त 2013 को इसे नये अवतार में उतारा गया। विमान को उड़ान भरने में मदद के लिए इसमें 37,500 टन का रैम्प लगाया गया।
5.दूसरे चरण में जहाज के बाहरी हिस्से की फिटिंग, विभिन्न हथियारों और सेंसरों की फिटिंग, विशाल इंजन प्रणाली को जोड़ने और विमान को उसके साथ जोड़ने का काम पूरा किया गया, जिसे 10 जून 2015 को जलावतरित किया गया| व्यापक परीक्षणों के पश्चात् वर्ष 2017-18 के आसपास भारतीय नौसेना को सौंपने की योजना है।
6.अप्रैल २०१४ में सरकार द्वारा इस पोत को कबाड़ में बेचने का निर्णय ले लिया गया। एक नीलामी के जरिए इस पोत को 60 करोड़ रुपये में एक प्राइवेट कंपनी आईबी कमर्शल प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया। इस निर्णय का काफी विरोध हुआ। पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने इस फैसले पर खेद व्यक्त करते हुए इस ऐतिहासिक युद्धपोत को युद्ध संग्रहालय में बदलने की वकालत की।
7.देश में पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत बनाने के बाद अब भारतीय नेवी को और मजबूत करने के लिए आईएनएस विक्रांत आ गया है। देश में बने पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को आज कोच्चि के समंदर में उतार दिया गया। आज रक्षा मंत्री एके एंटनी की मौजूदगी में इसे समंदर में उतारा गया। इस मौके पर एंटनी ने कहा कि आईएनएस विक्रांत तुरंत कार्रवाई के लिए सक्षम है।
8.नेवी में विक्रांत के शामिल होने के बाद भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस की उस लीग में शामिल हो गया है जिनके पास इस क्षमता के युद्ध पोत हैं। इसी ताकत की बदौलत सुपरपॉवर अमेरिका ने दुनिया पर दबदबा कायम रखा है। ये अमेरिकी विमान वाहक पोतों का बेड़ा है। ऐसे विशालकाय युद्धपोत जिनपर छोटी-मोटी वायुसेना और थलसेना का पूरा लावलश्कर होता है। इन्हीं की बदौलत अमेरिका इराक से लेकर अफगानिस्तान तक आतंक के खिलाफ जंग जारी रख पाया। खुद को सुपरपॉवर साबित कर सका।
9.आईएनएस विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत है। कोची शिपयार्ड में तैयार हो रहे विक्रांत को आज लॉन्च कर दिया गया। इसके साथ ही अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के बाद 40 हजार टन का विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता वाला भारत दुनिया का पांचवा देश हो गया। हालांकि पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत 2018 में नौ सेना में पूरी तरह से शामिल हो जाएगा।
10. आईएनएस विक्रांत की तरह ही स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत भी जबरदस्त ताकत वाला होगा। आईएनएस विक्रांत करीब 260 मीटर लंबा होगा, यानी समंदर में तैरता एक छोटामोटा शहर। करीब 40 हजार टन भार वाला विक्रांत 18 नॉट की रफ्तार से एक बार में 7,500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर लेगा। इसका सबसे खतरनाक हथियार रूस में बना मिग-29 होगा।
11.विक्रांत के डेक पर करीब 25 से 30 लड़ाकू विमानों को बेड़ा तैनात रहेगा, जिनमें करीब 12 मिग-29के, देश में बने 8 तेजस विमान और 10 एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर होंगे। ये हेलीकॉप्टर अर्लीवॉर्निंग सिस्टम से लैस होंगे, जिससे दुश्मन की कोई भी पनडुब्बी विक्रांत के पास फटक नहीं पाएगी। विक्रांत पर इन हवाबाजों की परवाज के लिए दो रनवे भी होंगे। इसके साथ ही दुश्मन के लड़ाकू विमानों को हवा में गिराने के लिए विक्रांत पर आधुनिक रडार, क्लोज इन वेपन सिस्टम और कई किस्म की मिसाइलों के साथ जमीन से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें भी होंगी।
12. फिलहाल भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक पोत आईएनएस विराट ही है, जो 2018 तक नौसेना के बेड़े में रहेगा। रूस से खरीदा गया एडमिरल गोर्शकोव यानी आईएनएस विक्रमादित्य के 2013 के अंत तक नौ सेना में शामिल होने की उम्मीद है। यानी आईएनएस विक्रांत के आने के बाद भारतीय नौसेना दो कैरियर बैटल ग्रुप वाली समुद्री ताकत बन गई है।
13. आईएनएस विक्रांत भारत का पहला विमान वाहक पोत था.
14. भारत ने इसे ब्रिटेन के रॉयल नेवी से साल 1957 में खरीदा था.
15. एचएमएस हरक्यूलस के नाम से जाने जाने वाले आईएनएस विक्रांत को रॉयल नेवी ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तैयार किया था.
16. मैजेस्टिक श्रेणी के इस विमान वाहक पोत को 1961 में नौसेना में शामिल किया गया था और जनवरी 1997 में ये कहते हुए इसकी सेवा समाप्त कर दी गई कि पोत का रख-रखाव संभव नहीं है.
17. आईएनएस विक्रांत ने साल 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान की नौसेना के लिए बड़ी मुसीबत था.
18. 1965 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान ने कहा था कि उसने विक्रांत को डूबो दिया है जबकि वह मुंबई के नौसेना की पोतगाह में वह कुछ तब्दीलियों से गुजर रहा था.
19. साल 1971 में हुए युद्ध के दौरान आईएनएस विक्रांत ने पाकिस्तान की नौसैनिक घेरेबंदी में अहम भूमिका निभाई थी.
20. बांगलादेश को आज़ाद करने का अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण इससे जुड़े अधिकारियों को दो महावीर चक्र और 12 वीर चक्र मिले.
21. कई दिग्गज नौसैनिकों और वायुयान चालकों ने इस पोत पर प्रशिक्षण पाया. पूर्व नौसैनिक प्रमुख एडमिरल आरएच तहिलयानी पोत के डेक पर हवाईजहाज उतारने वाले पहले भारतीय थे.
22. शिप ब्रेकिंग कंपनी आईबी कमर्शियल्स के मुताबिक 36 साल भारत की सेवा करने वाले इस विमानवाहक पोत को तोड़ने में 7-8 महीने लगेंगे.
दोस्तो तो बताओ कैसी लगी जानकारी
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आपका दोस्त -- अभिषेक सिंह
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